किसी रोज प्यासे को पानी क्या पिला दिया। लगा जैसे प्रभु ने अपना पता बता दिया॥

*ये ना पूछना*

       *ज़िन्दगी ख़ुशी कब देती है,*

*क्योकि शिकायते तो उन्हें भी है*

          *जिन्हें ज़िन्दगी सब देती है*



            




       सामान्यतया आदमी दान का मतलब किसी को धन देने से लगा लेता है। धन के अभाव में भी आप दान कर सकते हैं। तन और मन से किया गया दान भी उससे कम श्रेष्ठ नहीं।
       किसी भूखे को भोजन, किसी प्यासे को पानी, गिरते हुए को संभाल लेना, किसी रोते बच्चे को गोद में उठा लेना, किसी अनपढ़ को इस योग्य बना देना कि वह स्वयं हिसाब किताब कर सके और किसी वृद्ध का हाथ पकड़ उसके घर तक छोड़ देना यह भी किसी दान से कम नहीं है।
       हम किसी को उत्साहित कर दें, आत्मनिर्भर बना दें या साहसी बना दें, यह भी दान है। अगर आप किसी को गिफ्ट का ना दे पायें तो मुस्कान का दान दें, आभार भी काफी है। किसी के भ्रम-भय का निवारण करना और उसके आत्म-उत्थान में सहयोग करना भी दान है।

किसी रोज प्यासे को पानी क्या पिला दिया।
लगा जैसे प्रभु ने अपना पता बता दिया॥

रोशनी करने का ढंग बदलना है।
चिराग नहीं जलाने, चिराग बनकर जलना है।

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