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Showing posts from November, 2015

मैं भले ही वो काम नहीं करता जिससे खुदा मिले... पर वो काम जरूर करता हूँ...जिससे दुआ मिले.

मैं भले ही वो काम नहीं करता  जिससे खुदा मिले... पर वो काम जरूर करता हूँ...जिससे दुआ मिले. _________________________________ *जब , बगैर किसी वजह के* *ख़ुशी महसूस करो तो*  *यकीन कर लो, कि*  *कोई ना कोई, कहीं ना कहीं,* *तुम्हारे लिये,, दुआ, कर रहा है।* ________________________________                 जब आप धन                कमाते हैं तो घर                में चीजें आती हैं,                      लेकिन         जब आप कीसी की दुआयें                  कमातें हैं तो                  धन के  साथ                     "खुशी",                     "सेहत",                       और                     "प्यार"                  भी आता है...       

सुन्दर युवती आपकी बगल वाली सीट पर आकर बैठ जाए..... .

जब कोई सुन्दर युवती, बिलकुल बिंदास होकर, आपकी बगल वाली सीट पर आकर बैठ जाए..... . . . तो समझ जाइए कि, . . . . . अब आप युवा नहीं रहे.....

आटलु एक वार जरुर वांचो. - "केम छो ” कहेवानी पहेल दर वखते आपणे ज करवी जोइए.

* "केम  छो ” कहेवानी  पहेल  दर वखते आपणे ज करवी जोइए. * श्रेष्ठ पुस्तकों खरीद वानी टेव राखो पछी भले ते वंचाय के न वंचाय. * कोइए  लंबावेलो  (दोस्तीनो) हाथ  क्यारेय  तरछोडशो नही. * बहादुर बनो अथवा तेवो देखाव करो. * कोइने पण आपणी वात कहेता पहेलां बे वखत विचार करो. * महेणुं  क्यारेय न मारो. * कोइपण आशावादीनी वातने तोडी पाडशो  नही ,शक्य छे के एनी पासे मात्र एक ज आशा होय. * क्रेडिट काॅड सगवड साचववा माटे छे, ऊधारी करवा माटे नहीं. * रात्रे जमती वखते टी.वी बंध राखवु. * नकारात्मक  प्रकृति ना माणसो ने  मडवानु टाडो. * दरेक व्यक्ति ने बीजी तक आपो , त्रीजी नहीं. * संतानो नाना होय त्यारथी ज तेमने पैसा नी किंमतनुं अने  बचत नुं महत्व समजावी देवु. * जे गांठ  छोड़ी शकाय एवी होय तेने कापशो नही. * जेने तमे चाहता होय तेनी सतत काळजी लेता रहो. * कुटुंबना  सभ्यो साथे पिकनिक पर जवानुं गोठवो. * गोसिप ,निंदा ,जुगार  अने  कोइना पगारनी चचाॅथी दूर रहो. * जिंदगी मा तमोने हंमेशा न्याय मडशे ज एवुं मानीने चालवु नही. * लोको ने तमारी समस्या ओ मा रस नथी होतो एटलुं याद राखो. * अफसोस कयाॅ विनानुं जीवन जीवों. * क्यारेक 

व्यवहार मीठा ना हों तो हिचकियाँ भी नहीं आती, बोल मीठे न हों तो कीमती मोबाईलो पर घन्टियां भी नहीं आती।

"कदम ऐसा चलो,            कि निशान बन जाये। काम ऐसा करो,           कि पहचान बन जाये। यहाँ जिन्दगी तो,           सभी जी लेते हैं, मगर जिन्दगी जीओ तो ऐसी, कि सबके लिए मिसाल बन जाये" ______________________ हमें पता है कि रंगोली दुसरे ही दिन मिटने वाली है, फिर भी वो ज्यादा से ज्यादा आकर्षक हो, कलात्मक हो, मनमोहक हो ये कोशिश रहती है. जीवन भी कुछ रंगोली जैसा ही है, हमें पता है जिंदगी एक दिन ख़त्म हो जाएगी, फिर भी उसे खुबसूरत बनाने की कोशिश करते रहना चाहिए... पल पल.... हर पल.. ______________________ व्यवहार मीठा ना हों तो हिचकियाँ भी नहीं आती, बोल मीठे न हों तो कीमती मोबाईलो पर घन्टियां भी नहीं आती। घर बड़ा हो या छोटा, अग़र मिठास ना हो, तो ईंसान तो क्या, चींटियां भी नजदीक नहीं आती।       जीवन का 'आरंभ' अपने रोने से होता हैं.., और जीवन का 'अंत' दूसरों के रोने से, इस "आरंभ और अंत" के बीच का समय                                                      भरपूर हास्य भरा हो... बस यही सच्चा जीवन है...!!!                                        हे प्रभु            न किसी का

इतना मूल्यवान मनुष्य जीवनप्राप्त करने का क्या लाभ हुआ?

छोटा सा जीवन है, लगभग 80 वर्ष। उसमें से आधा =40 वर्ष तो रात को बीत जाता है। उसका आधा=20 वर्ष बचपन और बुढ़ापे मे बीत जाता है। बचा 20 वर्ष। उसमें भी कभी योग, कभी वियोग, कभी पढ़ाई,कभी परीक्षा, नौकरी, व्यापार और अनेक चिन्ताएँ व्यक्ति को घेरे रखती हैँ।अब बचा ही कितना ? 8/10 वर्ष। उसमें भी हम शान्ति से नहीं जी सकते ? यदि हम थोड़ी सी सम्पत्ति के लिए झगड़ा करें, और फिर भी सारी सम्पत्ति यहीं छोड़ जाएँ, तो इतना मूल्यवान मनुष्य जीवन प्राप्त करने का क्या लाभ हुआ? स्वयं विचार कीजिये :- इतना कुछ होते हुए भी, 1- शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी... मौन होना सब से बेहतर है। 2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी... सफेद रंग सब से बेहतर है। 3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी... उपवास शरीर के लिए सबसे बेहतर है। 4-पर्यटन के लिए रमणीक स्थल होते हुए भी.. पेड़ के नीचे ध्यान लगाना सबसे बेहतर है। 5- देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी... बंद आँखों से भीतर देखना सबसे बेहतर है। 6- सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी... अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है। 7- जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी... सि

वोटसेप शु छे ?

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सत्य की भूख सभी को होती है

सत्य की भूख सभी को होती है लेकिन सत्य जब परोसा जाए तो कम ही लोगों को इसका स्वाद पसंद आता है