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Showing posts from March, 2016

किसी धर्मका अपमान करने की इजाजत मेरा धर्म नहीं देता.

झुका लेता हूं सर अपना, सभी धर्मस्थलों के सामने, क्योंकि किसी धर्मका अपमान करने की इजाजत मेरा धर्म नहीं देता.. मज़हब तो ये दो हथेलियाँ ही बताती हैं, जुड़ें तो "पूजा" खुलें तो "दुआ"कहलाती हैं.. ___________________________________ एक घर में पड़ी किताब - गीता और कुरान आपस में कभी नहीं लड़ते, और जो उनके लिए लड़ते हैं वो कभी उन दोनों को नहीं पढ़ते. ___________________________________  धर्म के उन ठेकेदारो से तो वो दुकानदार ठीक हैं ; जो गीता और कुरान साथ मे सजा कर रखते है..!!

सत्य ने ज्यारे पीरसवा मां आवे त्यारे....

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प्रभू का पत्र- दूसरा नाम...आस्था और विश्वास ही तो है।

प्रभू का पत्र मेरे प्रिय... सुबह तुम जैसे ही सो कर उठे, मैं तुम्हारे बिस्तर के पास ही खड़ा था। मुझे लगा कि तुम मुझसे कुछ बात करोगे। तुम कल या पिछले हफ्ते हुई किसी बात या घटना के लिये मुझे धन्यवाद कहोगे। लेकिन तुम फटाफट चाय पी कर तैयार होने चले गए और मेरी तरफ देखा भी नहीं!!! फिर मैंने सोचा कि तुम नहा के मुझे याद करोगे। पर तुम इस उधेड़बुन में लग गये कि तुम्हे आज कौन से कपड़े पहनने है!!! फिर जब तुम जल्दी से नाश्ता कर रहे थे और अपने ऑफिस के कागज़ इक्कठे करने के लिये घर में इधर से उधर दौड़ रहे थे...तो भी मुझे लगा कि शायद अब तुम्हे मेरा ध्यान आयेगा,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर जब तुमने आफिस जाने के लिए ट्रेन पकड़ी तो मैं समझा कि इस खाली समय का उपयोग तुम मुझसे बातचीत करने में करोगे पर तुमने थोड़ी देर पेपर पढ़ा और फिर खेलने लग गए अपने मोबाइल में और मैं खड़ा का खड़ा ही रह गया। मैं तुम्हें बताना चाहता था कि दिन का कुछ हिस्सा मेरे साथ बिता कर तो देखो,तुम्हारे काम और भी अच्छी तरह से होने लगेंगे, लेकिन तुमनें मुझसे बात ही नहीं की... एक मौका ऐसा भी आया जब तुम बिलकुल खाली थे और कुर्सी पर पूरे 15 मिनट यूं ह

कड़वी गोलियाँ चबाई नही निगली जाती हैं।

"कड़वी गोलियाँ चबाई नही निगली जाती हैं।" उसी प्रकार जीवन में अपमान , असफलता , धोखे जैसी कड़वी बातों को सीधे गटक जाऐं... . उन्हें चबाते रहेंगे... यानि याद करते रहेंगे तो जीवन कड़वा ही होगा। ____________________ असफलता कोई अकस्मात घटी हुयी दुर्घटना नहीं है । कोई भी व्यक्ति रातों रात असफल नहीं होता, बल्कि असफलता हर दिन दोहराये जाने वाली त्रुटियों का सामुहिक मिश्रण है। ____________________ ईश्वर "टूटी" हुई चीज़ों का इस्तेमाल कितनी ख़ूबसूरती से करता है ..,, जैसे .... बादल टूटने पर पानी की फुहार आती है ...... मिट्टी टूटने पर खेत का रुप लेती है.... फल के टूटने पर बीज अंकुरित हो जाता है ..... और बीज टूटने पर एक नये पौधे की संरचना होती है .... इसीलिये जब आप ख़ुद को टूटा हुआ महसूस करे तो समझ लिजिये ईश्वर आपका इस्तेमाल किसी बड़ी उपयोगिता के लिये करना चाहता है । इसीलिए सदैव प्रसन्न रहें और हँसते रहें । ____________________        कर्मों की आवाज़       शब्दों से भी ऊँची होती है I यह आवश्यक नहीं कि        हर लड़ाई जीती ही जाए I आवश्यक तो यह है कि    हर हार से कुछ सीखा जाए II     

दृष्टि नहीं दृष्टिकोण सही होना चाहिए!

अँधे को मंदिर आया देख लोग हँसकर बोले "मंदिर में दर्शन करने आये तो हो पर क्या भगवान को देख पाओगें"?? अँधे ने कहाँ- "क्या फर्क पड़ता हैं, मेरा भगवान तो मुझे देख लेगा" दृष्टि नहीं दृष्टिकोण सही होना चाहिए! ___________________________ एक खरगोश रोज़ एक लोहार की दुकान पर जाता और पूछता “गाजर है???” , लोहार इंकार कर देता। एक दिन लोहार को बहुत गुस्सा आया और उसने पकड़कर खरगोश के दांत तोड़ दिए। , और कहा – अब तू “गाजर” खा के दिखा? फिर ? फिर क्या अगले दिन खरगोश आया और पूछने लगा – “गाजर का हलवा है???” *इसे कहते हैं  हकारात्मक वलण

दुनियां से बात करने के लिये फोन की जरूरत होती है ! और प्रभु से बात करने के लिये मौन की जरूरत होती है।

दुनियां से बात करने के लिये फोन की जरूरत होती है ! और प्रभु से बात करने के लिये मौन की जरूरत होती है। फोन से बात करने पर बिल देना पड़ता है, और ईश्वर से बात करने पर दिल देना पड़ता है। "माया" को चाहने वाला, "बिखर" जाता है. भगवान को चाहने वाला, "निखर" जाता है..          क्यों भरोसा करते हो                   गैरो पर....           जबकि तुम्हें चलना है               खुद के पैरो पर... ________________________ सारा जहाँ उसी का है       जो मुस्कुराना जानता है रोशनी भी उसी की है       जो शमा जलाना जानता है हर जगह मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे है।       लेकिन ईश्वर तो उसी का है जो "सर"  झुकाना जानता है। ________________________ तू इस कदर इन्सान को इतना बेबस ना बना मेरे खुदा…!!! की तेरा बन्दा तुजसे पहले किसी और के आगे झुक जाये…..!!! ________________________ जींदगी वन-डे मैच की तरह है । जिस मे रन तो बढ़ रहे है । पर ओवर घट रहे हैं। मतलब धन तो बढ़ रहा है । पर उम्र घट रही है । इसलिए हर दिन कुछ न कुछ पूण्य के चौके छक्के  लगाये ताकि ऊपर बेठा एम्पायर हमें मोक्ष की ट्रॉफी दे

जब गम आये तो वो भी कभी खा लेना दवाई समझ कर .

किसीने खुब सही कहा है .... खुशीयॉ आये जिंदगी मै तो       चख लेना मिठाई समझ कर .... . जब गम आये तो वो भी     कभी खा लेना दवाई समझ कर .... ____________________________ आँसुओं से जिनकी आँखें नम नहीं,  क्या समझते हो कि उन्हें कोई गम नहीं?  तड़प कर रो दिए गर तुम तो क्या हुआ,  गम छुपा कर हँसने वाले भी कम नहीं। ____________________________    अभी कुछ दूरियां तो कुछ फांसले बाकी हैं, पल-पल सिमटती शाम से कुछ रौशनी बाकी है, हमें यकीन है कि कुछ ढूंढ़ता हुआ वो आयेगा ज़रूर अभी वो हौंसले और वो उम्मीदें बाकी हैं। ____________________________ कदम कदम पे बहारों ने साथ छोड़ दिया, पड़ा जब वक़्त तब अपनों ने साथ छोड़ दिया, खायी थी कसम इन सितारों ने साथ देने की सुबह होते देखा तो इन सितारों ने साथ छोड़ दिया। ____________________________ ऐ खुदा बुला ले अब तो अपने पास मुझे, क्यों मुझसे तू और इम्तेहान लिए जाता है, अब किसी को जरुरत नहीं है जहाँ में मेरी ये इंसान यहाँ पर बेमतलब जिए जाता है. ____________________________ जीवन का हर पन्ना तो रंगीन नही होता, हर रोने वाला तो गमगीन नही होता, एक ही दिल को कोई कब तक तोड़ता रहेगा