घमंड से अपना *सर* ऊँचा न करे... जीतने वाले भी .... अपना *गोल्ड मैडल*... सिर झुका के हासिल करते है
घमंड से अपना *सर* ऊँचा न करे... जीतने वाले भी .... अपना *गोल्ड मैडल*... सिर झुका के हासिल करते है _________________________ आहिस्ता से पढना- पछतायेगा कौन ? एक वाक्य भी दिल में बैठ गया तो कविता सार्थक हो जायेगी - मैं रूठा , तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ? आज दरार है , कल खाई होगी फिर भरेगा कौन ? मैं चुप , तुम भी चुप इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ? छोटी बात को लगा लोगे दिल से , तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ? दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर , सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ? न मैं राजी , न तुम राजी , फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ? डूब जाएगा यादों में दिल कभी , तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ? एक अहम् मेरे , एक तेरे भीतर भी , इस अहम् को फिर हराएगा कौन ? ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ? फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ? मूं