*पाप और पूण्य क्या है..??*
*पाप और पूण्य क्या है..??* *मुझे नही पता* *मुझे तो बस ये ही पता है...,* *जिस कार्य से किसी का* *दिल दुःखे वो पाप..,* *और...* *किसी के चेहरे पे हँसी आये..* *वो पूण्य..* _________________________________ *पूण्य क्या है..??* १. प्रस्तावना दैनिक जीवन में कर्म करते समय, हम उन कर्मों का फल पुण्य एवं पाप के रूप में भोगते हैं । पुण्य एवं पाप हमें अनुभव होनेवाले सुख और दुख की मात्रा निर्धारित करते हैं । अतएव यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि पापकर्म से कैसे बचें । वैसे तो अधिकांश लोग सुखी जीवन की आकांक्षा रखते हैं; परन्तु जिन लोगों को आध्यात्मिक प्रगति की इच्छा है, वे यह जानने की जिज्ञासा रखते हैं कि क्यों मोक्षप्राप्ति के आध्यात्मिक पथ में पुण्य भी अनावश्यक हैं । २. पुण्य एवं पाप क्या है ? पुण्य अच्छे कर्मों का फल है, जिनके कारण हम सुख अनुभव करते हैं । पुण्य वह विशेष ऊर्जा अथवा विकसित क्षमता है, जो भक्तिभाव से धार्मिक जीवनशैली का अनुसरण करने से प्राप्त होती है । उदाहरणार्थ मित्रों की आर्थिक सहायता करना अथवा परामर्श दे