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Showing posts from May, 2016

मघसॅ डे ने उजववा करतां ते मघर साथे अडघो कलाक पसार करशो तो पण तेना जीवनमां उत्सव जेवुं वातावरण रहेशे.

मातृशकितने सलाम : आजे '' मघॅस डे '' छे. कवि कहे छे: ' हे मानवी शीतळता मेळववाने माटे दोडादोड शानी करे छे ? साची शीतळता तो मानी गोदमां ज छे, जे हिमालयनी टोच पर पण नथी. ' गुजराती कवि बोटादकरे मातृवंदनानुं अदभूत काव्य '' जननीनी जोड सखी नहीं मळे रे लोल '' ललकायुॅ छे. तो मां ते मां बीजा बघा वगडाना वा जेवी देशी कहेवत पण ओछा शब्दोमां मानो महिमा समजावी जाय छे. तो मात्र मानी खुशी अने आनंद माटे अने उसत्वोना घजागरा छोडीने साचा मनथी तेने भेटजो.. तेने ऐक वखत कहेजो के तमे तेने चाहो छो...तमारा जीवनमां तेनुं स्थान विशेष छे... पछी मने नथी लागतुं के, भेट सोगादो के केक लाववाना घतिंग करवानी जरुर पडे. मघसॅ डे ने उजववा करतां ते मघर साथे अडघो कलाक पसार करशो तो पण तेना जीवनमां उत्सव जेवुं वातावरण रहेशे. कारण के ऐकाद दिवसनी उजवणीथी आ अमूल्य ऋुण उतरे ऐवुं नथी. आ प्रसंगे कवि अनिल चावडानी रचना याद आवे छे... '' दिकरा साथे रहेवा मा ह्रदयमां हषॅ राखे छे.   दिकरो बिमार मा माटे अलगथी नसॅ राखे छे.   सहेज अडतामां ज दु:खो सामटा थई  जाय छे गायब.   मा हथेळीमां सतत जादुई ऐवो स्

जो रुला के खुद भी रो पड़े वही "माँ" है।

रुलाना हर किसी को आता है, हँसाना भी हर किसी को आता है, रुला के जो मना ले वो "पापा"  है, और जो रुला के खुद भी रो पड़े वही "माँ" है। ________________________ आज लाखो रुपये बेकार है वो एक रुपये के सामने जो MAA स्कूल जाते वक्त देती थी ________________________ -माँ- माँ एक ऐसा शब्द हैं, जिसे सिर्फ़ बोलने से ही अपने हृदय में प्यार और ख़ुशी की लहर आ जाती हैं... ________________________ "माँ" तू है, तो हम है... "माँ" एक रिश्ता नहीं एक अहसास है, भगवान मान लो या खुदा, खुद वो माँ के रूप में हमारे आस पास है.. मारी वन्दनीय माँ अने मारा तमाम मित्रो ना माँ ने मारा प्रणाम..  ________________________ माँ है तो लोरी है शगुन है माँ है तो गीत है उत्सव है माँ है तो मंदिर है मोक्ष है माँ है तो मुमकिन है शहंशाह होना, माँ के आँचल से बड़ा दुनिया में कोई साम्राज्य नहीं ________________________ I A S के साक्षात्कार में एक सवाल पूछा गया यदि गर्दन नीची कर आपको खाने को कहा जाय हर रोज अलग-अलग महिलाऐ बिना बोले आपको खाना परोसे..और ये पता लगाना हो कि आपकी मां ने किस दिन खाना परोसा

लाइन छोटी है पर मलतब बहुत बड़ा है.

लाइन छोटी है पर मलतब बहुत बड़ा है.. उम्र भर उठाया बोझ उस ''खीली'' ने.. और लोग तारीफ़ ''तस्वीर'' की करते रहे.. ______________________________ ❛"मतलब की बात          सब समजते है,      "सही बात का मतलब         कोइ नहि समजता" ______________________________ कीसीकी तलाश मे मत नीकलो.. लोग खो नही - बदल जाते हे छोटे थे तब सब नाम से बुलाते थे , बड़े हो गये तो बस काम से बुलाते हे..!! ______________________________ सब फ़साने हैं दुनियादारी के, किस से किस का सुकून लूटा है; सच तो ये है कि इस ज़माने में, मैं भी झूठा हूँ तू भी झूठा है। ______________________________ (1) “मतलब” का वजन बहुत ज्यादा होता है, तभी तो “मतलब” निकलते ही रिश्ते हल्के हो जाते है.                                     (2) जब कोई दिल दुखाये तो बेहतर है चुप रहना चाहिये... . क्योंकि... . जिंन्हें हम जवाब नहीं देते.. उन्हें वक़्त जवाब देता हैं... ______________________________ कितने झूठे हो गये है हम....... बचपन में अपनों से भी रोज रुठते थे, आज दुश्मनों से भी मुस्करा के मिलते है.!!            

माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है

माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है माँ जीवन के फूलों में, खूशबू का वास है माँ रोते हुए बच्चे का, खुशनुमा पालना है माँ मरूस्थल में नदी या मीठा-सा झरना है माँ लोरी है, गीत है, प्यारी-सी थाप है माँ पूजा की थाली है, मंत्रो का जाप है माँ आँखो का सिसकता हुआ किनारा है माँ ममता की धारा है, गालों पर पप्पी है, माँ बच्चों के लिए जादू की झप्पी है माँ झुलसते दिनों में, कोयल की बोली है माँ मेंहँदी है, कुंकम है, सिंदूर है, रोली है माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है माँ फूंक से ठंडा किया कलेवा है माँ कलम है, दवात है, स्याही है माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है माँ अनुष्ठान  है, साधना है, जीवन का हवन है माँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है माँ चूड़ीवाले हाथों के, मजबूत कंधो का नाम है माँ काशी है, काबा है, और चारों धाम है|| माँ चिन्ता है, याद है, हिचकी है माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है माँ चूल्हा, धुँआ, रोटी और हाथों का छाला है माँ जीवन की कड़वाहट में अमृत का प्याला है माँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता माँ जैसा दुनिया में कुछ हो

माँ तो माँ होती है! क्या मेरी, क्या तेरी?

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माँ तो माँ होती है! क्या मेरी, क्या तेरी? पति के घर में प्रवेश करते ही पत्नी का गुस्सा फूट पड़ा : "पूरे दिन कहाँ रहे? आफिस में पता किया, वहाँ भी नहीं पहुँचे! मामला क्या है?" "वो-वो... मैं..." पति की हकलाहट पर झल्लाते हुए पत्नी फिर बरसी, "बोलते नही? कहां चले गये थे। ये गंन्दा बक्सा और कपड़ों की पोटली किसकी उठा लाये?" "वो मैं माँ को लाने गाँव चला गया था।" पति थोड़ी हिम्मत करके बोला। "क्या कहा? तुम्हारी मां को यहां ले आये? शर्म नहीं आई तुम्हें? तुम्हारे भाईयों के पास इन्हे क्या तकलीफ है?" आग बबूला थी पत्नी! उसने पास खड़ी फटी सफेद साड़ी से आँखें पोंछती बीमार वृद्धा की तरफ देखा तक नहीं। "इन्हें मेरे भाईयों के पास नहीं छोड़ा जा सकता। तुम समझ क्यों नहीं रहीं।" पति ने दबीजुबान से कहा। "क्यों, यहाँ कोई कुबेर का खजाना रखा है? तुम्हारी सात हजार रूपल्ली की पगार में बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च कैसे चला रही हूँ, मैं ही जानती हूँ!" पत्नी का स्वर उतना ही तीव्र था। "अब ये हमारे पास ही रहेगी।" पति ने कठोरता अपनाई। "मैं क

जब तक आप अपने काम से महोब्बत नही करोगे तब तक...

जब तक आप अपने काम से महोब्बत नही करोगे तब तक आपको उस काम मे सफलता प्राप्त नही होगी. फिर चाहे वो बिजनेस हो, कला हो, जोब हो,  कूछ भी हो.  क्योकी लोग कहेते है की महोब्बत मे पागलपन, जोश, ओर जूनून होता है. ओर मै कहैता हू कि सफल होनेके लीऐे ये तिनो झरूरी है ________________________ "चलते रहे कदम दोस्तों,               किनारा जरुर मिलेगा !! अन्धकार से लड़ते रहो,               सवेरा जरुर खिलेगा !! जब ठान लिया मंजिल पर जाना,               रास्ता जरुर मिलेगा !! ए राही न थक, चल...               एक दिन समय जरुर फिरेगा !! ________________________ प्रशंसा से "पिघलना" मत आलोचना से "उबलना" मत निःस्वार्थ भाव से कर्म  हो क्योंकि -          इस 'धरा' का          इस 'धरा'  पर          सब 'धरा' रह जाएगा । ________________________ बिना प्रयास के सिर्फ आप नीचे गिर सकते है, ऊपर नहीं उठ सकते। यही गुरुत्वाकर्षण का भी नियम है, और जीवन का भी। ________________________ सोच मत, साकार कर, अपने कर्मो से प्यार कर !           मिलेगा तेरी मेहनत का फल, किसी ओर का ना इंतज़ार

शाला मां दिवाल पर लखी शकाय तेवा सुविचार - थेंक्स - मनसुखभाइ.

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