गुरु ही ब्रम्हा गुरु ही विष्णु गुरु देवो महेश्वरः , गुरु ही साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवै नमः
*गुरुपूर्णिमा पर विशेष-------* *( गुरु+पूर्ण+माँ )* *अर्थात* *सर्वप्रथम: माँ ही पूर्ण गुरु है* *धन्य है वो लोग जो गुरु के संपर्क मे है तथा उनके सानिध्य में जीवन मे कुछ ज्ञान और शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिला।* *गुरु शब्द और गुरु का जीवन समुद्र की गहराई है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।* "सब धरती कागज करूँ लिखनी सब वनराय सात समुंदर मसि करूँ गुरु गुण लिखा ना जाये" *गुरु का महत्व -* सात द्वीप नौ खंड में गुरु से बड़ा ना कोय । करता करे न कर सके गुरु करे सो होय । *गुरु का हाथ पकड़ने की बजाय अपना हाथ गुरु को पकड़ा दो क्योंकि हम गुरु का हाथ गलती से छोड़ सकते हैं, किन्तु........* *गुरु हाथ पकड़ेंगे तो कभी नहीं छोड़ेंगे* गुरु ही ब्रम्हा गुरु ही विष्णु गुरु देवो महेश्वरः ।। गुरु ही साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवै नमः ।। *गुरु के बिना ज्ञान अधूरा है , गुरु ही हमें सही राह दिखाते है ।* *इसलिए हमें गुरु की हर आज्ञा का पालन करना चाहिए ।।* *प्रभु श्रीराम एवं श्री कृष्ण को भी गुरु के पास शिक्षा प्राप्त करना पड़ी थी।* *गुरु भक्ति के कई उदाहरण हमारे ग्रंथों में हैं ।